10.11.08

विवाह और वैभव

विवाहों के उत्सव का मौसम आ गाया है फिर डी जे बजेंगे, बराती नाचेंगे, वैभव - प्रदर्शन होगा हालांकि सडकें वाधित होंगी और गुज़रना चाह रहे अनेक मज़बूर / बीमार लोग कुढेंगे भी लेकिन परवाह क्या ? धन कमाया है तो बरबाद करने के ही लिये तो शादी में न दिखाएं तो कौन जानेगा कि कुछ कमाया भी था !


कितनी उन्मुक्तता का वातावरण होगा ! मस्तीभरा !! जब घरों की औरतें भी बेड्नियों की तरह सडक पर कजरारे कजरारे करेंगी, पुरुष- स्त्री मिल कर डी जे की उत्तेजक धुनों पर कामोत्तेजक मुद्राओं का सार्वजनिक प्रदर्शन करेंगे इन सबके साथ निरपेक्ष मुद्रा में चलेंगे हाथ और सिर पर जोड लगे तारों वाली बिजली की लाल्टेन लिये वे बच्चे, जिन्हें मिलेगी डेकोरेटर मालिक की डांट कुछ रुपये और बोनस के रुप पूरी कचोरी और मिठाई की गंध !

जिनकी शादी इस ऋतु में होने जा रही है उन्हें बधाई ! !

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