29.11.08

किस किस को कोसें

इस बार फिर मंथन का कुछ मसाला मिला है क़्वेस्ट के मंच से ..


ताज होटल और दीगर ठिकाने तो मात्र नाम भर हैं असल बात तो यह है कि हमला भारत की इज़्ज़त पर हुआ है | हमारे नपुंसक मंत्री और नेता हमें याद दिला रहे हैं भारतेंदु हरिश्चंद्र की अंधेर नगरी की | लगता यही है कि नपुंसक राजा स्वयं अपनी आज्ञा से फांसी ले लेंगे | कुछ विचार इन दो दिनों में क़्वेस्ट पर अभिमत व्यक्त करते हुए यहां के लायक लगे | बांचेंगे तो शोक के स्थान पर आक्रोश पाएंगे | कबीरा खडा बज़ार में लिये लुकाठी हाथ ! जो घर बारै आपना चलै हमारे साथ !!

शिवराज पाटिल को बहुत बहुत बधाई कि अपने समय में आतंकवादी हमलों का रिकार्ड तोड़ पाने में सफल रहे हैं ! शिवराज, डटे रहो, पाकिस्तान तुम्हारे साथ है !! इसके अलावा, लगे हाथों अर्जुन सिंह, मुलायम सिंह , लालू , राम विलास को भी बधाई दे दी जाए !

आपको हैरानी होगी यह जानकर कि नव भारत टाइम्स में कुवैत से एक मुस्लिम पाठक ने तो यहां तक व्यक्त किया है कि श्री हेमंत करकरे को मारना हिंदुओं की चाल है क्योंकि श्री करकरे मालेगांव विस्फोटों की जांच कर रहे थे | देश का गृह मंत्री यदि नपुंसक हों तो देश की ऐसी दुर्गति कोई आश्चर्य नहीं |

शिवराज पाटिल कोई इकलोते मंत्री ऐसे हों ऐसा नही है | इतिहास में देश बेंचने वाले अनेक जयचंद हुए हैं | आज भी बिन पेंदी के राजनेताओं का खासा जमघट है | परम आदरणीय श्री लालू यादव्, मुलायम सिंह, अर्जुन सिंह, अमर सिंह और राम विलास पासवान हमारे देश के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं जिन पर राष्ट्र साम्राज्ञी सोनिया गांधी को गर्व है | मन मोहन के लाडले ऐसे नेताओं को प्रणाम जिनके ब्रह्म वाक्यों के कारण ही हमारा देश आतंकियों से होने वाली मौतों के सारे रिकार्ड तोड सका है | हम इस दिशा में सर्वोपरि हैं | मोहन चंद शर्मा को तो अमर / अर्जुन पहले ही दोषी बता चुके हैं | सवाल यह कि हम प्रणाम किसको करें ? दिवंगत को या अमर - अर्जुन को ?

हाल ही में पुनः मीडिया का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार उजागर हुआ है | वह बिना सेना या कमांडो से परामर्श लिये वह सब दिखाती रही जो आतंकवादियों के लिये हितकारी था | टी आर पी की चाह में देश का अहित मीडिया के लिये कोई नयी बात नहीं रह गई है | ऐसे में सूचना प्रसारण मंत्रालय पर भी बडा दायित्व आन पडा है |

ज्योतिषी कहते हैं : "जब मुंबई आतंकवादियों के निशाने पर थी तब कर्क लग्न चल रहा था। लग्न में केतु द्वितीय मारक भाव में शत्रु सूर्य की राशि पर शनि महाराज विराजमान थे। शनि की लग्नेश चंद्र पर तृतीय पूर्ण दृष्टि थी। चंद्र लग्नेश होकर चतुर्थ में शुक्र की तुला राशि पर था जो कि उसकी शत्रु राशि है। चतुर्थ भाव जनता का है वही भवन का है और आतंकवाद ने इन पर ही निशाना बनाया। "

उनका आगे कहना है : "यहाँ पर मंगल, सूर्य, बुध तीनों शनि के नक्षत्र अनुराधा में हैं। वहीं शु्क्र सुखेश होकर छठे भाव में है। यही कारण है कि आतंकवादी हमला हुआ। "

अब बताइए ये जानकारी हमारे किस काम की ?

इसमे आश्चर्य की कोई बात नही ; ज्योतिष का चाव ही कुछ ऐसा है | ज्योतिष की विशेषता है कि यह हमें वर्तमान से दूर ले जाता है जहां स्वप्न बिकते हों | किसी समय सिर्फ़ भारतीय फिल्में ही सपनों की सौदागरी करती थीं आज बाज़ार में ज्योतिष की भी भारी धूम है | किसी फोरम पर भी देख लो दो चार लोग दुकान खोले मिल ही जायेंगे | बेरोज़गारी में ये धंधा अच्छा है | कोई कसौती भी नहीं और दाम भी चौखा !!

इधर मैंने अभी अभी मानवाधिकारवादी का चश्मा पहना है | चश्मा पहनने के बाद मैं देखता हूं कि हिंदुस्तानी कमांडो बहुत ज़ुल्म कर रहे हैं उन्होंने नरीमन हाउस में 'फंसे' पाकिस्तानी चरमपंथियों को बे-रहमी से मार डाला है | ऐसा नहीं होना चाहिए था | आख़िर वे भी मानव हैं | वे बेचारे भूंखे प्यासे और गिनती के ; जबकि इधर कमांडो अनेक | यह अमानवीय है ! भारत सरकार को चाहिये कि चरमपंथियों की सुरक्षा और भोजन- पानी के पुख्ता इंतज़ाम करे | ( चश्मा अभी यथावत जारी है)

किसी ने मेरी इस राय पर आपत्ति की कि एक देश भक्त की तरह सोचा करों लेकिन्, यह मेरा दोष नही वरन चश्मे का है ! आख़िर ये मानवाधिकारवादी का चश्मा है | इस की विशेषता ही यह है कि ये चरमपंथियों पर अत्याचार नही देख सकता | ये चश्मे विदेश से आयातित होते हैं और देश के दिग्गज पहनते हैं |

चलिए, अंत में जाग सकें तो जाग वाली बात ! वरना, अखबार बाचेंगे, अफसोस ज़ाहिर करेंगे और आखिर में " होंई है सोई जो राम रूचि राखा " कहकर सो जाएंगे !!

किस किस को कोसें जब खोट अपने ही घर में हों ?



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1 comment:

Awakened Indian said...

Subject: Invitation to Jago Bhopal Inaugural Online Blogger Symposium (2008).

Saxena Ji,
Hello.

The Mumbai Terror Attack evoked the same emotions in all of us, we all tried to do something for our country, someone SMSed, the other joined a Candle Vigil, even some people sulked that nothing can be done in this country, for this country, by its people.

The Blogging Community is an exception to this, because each person’s ideas and solutions are there for all of us to read and discuss, and then we can convert these into reality. The problem is simply by writing a blog article we cannot change our country, the problem is apart from a few famous ones all the bloggers stay at the margins of internet getting frustrated why their wonderful idea is not being listened to and put to action.

The problem is that we all don’t connect with each other even in the same city, even on the internet. The problem is our intentions should be reflected in our actions, to clean the politics of this country, we must at least participate in political discussions (not like that shown on NDTV, but like all of talking together through blogs)

In this context, I invite you to connect with other bloggers from Bhopal and make an initial contribution to a new kind of politics in Bhopal and in our country.

I invite you to the Jago Bhopal Blogger Symposium (2008).

I request you to write an article (write a sentence, a long article, a full-fledged criticism, a couplet, a poem, anything) on any one of the following topics:

1. India of My Dreams.

2. Is Jago Party a better option than other political parties of India.


ENTRY SUBMISSION:

1. Publish the entry on your blog and mail it to latent.dissent@gmail.com or post the link on the symposium notice form on jagobhopal.blogspot.com as a comment.

2. Send the entry directly to latent.dissent@gmail.com or jagobhopal@gmail.com along with your name.

3. The date of entry is from 22 december to 28 december 2008.

Sincerely,
Latent Dissent.
(latentdissent.blogspot.com)