7.11.11

पटना तट पर गंग- आराधन

देश की जीवन रेखा गंगा,
देश को जीवन देती गंगा
हम पापी निष्ठुर बेटों को,
पाप से मुक्ति देती गंगा

माँ
हम चालाक चतुर हैं सारे,
पर तुमने सब दोष बिसारे
हमने तन मन और घर के मल सब
बेशर्मी से तुम पर डाले

विशाल तटों से मन वाली माँ
तुमने उफ्फ ज़रा भी न की
निज बेटों के शुष्क ह्रदय की
सब कटुताएँ , तुमने सह ली

माँ,
एक भगीरथ पुनः रचो तुम
जो ममता को आदर दे दे
पुनीत, मधुर पर कलुषित जल को
फिर निर्मलता पावन दे दे

हम कृतध्न सब कपटी सुत हैं
माँ
निर्मल नीर बहाओ तुम
मन के कलुषित प्रपंचजाल मे
शुभता भर दो,
बस जाओ तुम !